डिप्रेशन एक ऐसी स्थिति है, जिसे हम अपनी जिंदगी के अलग-अलग पलों में अलग-अलग तरह से महसूस करते है। डिप्रेशन हमारे सोचने, महसूस करने और काम करने के तरीके को प्रभावित करती है। depression सिर्फ एक साधारण उदासी नहीं है, बल्कि लंबे समय तक चलने वाली एक गंभीर समस्या है। अवसाद के लक्षण में हर समय थकावट, उदासी और निराशा का अनुभव हो सकता है। Depression meaning in hindi में समझे तो “किसी चीज़ में या किसी काम को करते समय खुशी महसूस न हो, मन मुरझा हुआ सा लगे और जिंदगी एक बोझ सा लगने लगे, तो ये डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं।
इस लेख में हम Depression in Hindi में यह जानेंगे कि डिप्रेशन क्या है? डिप्रेशन कैसे होता है? अवसाद के लक्षण,डिप्रेशन के समय क्या करें और क्या ना करे, डिप्रेशन कि इलाज के क्या-क्या तरीके है इनके बारे में हम विस्तार से जानेंगे।
डिप्रेशन क्या है? (Depression in Hindi)
अपने जीवन में कभी न कभी किसी पड़ाव में तनाव या स्ट्रेस से हर व्यक्ति जूझता है। डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है जिसमें व्यक्ति का मूड, भावनाएं, और व्यवहार प्रभावित होते है। डिप्रेशन या अवसाद सामान्य उदासी से अलग होता है,जैसे किसी क्षेत्र में असफलता,गरीबी, बेरोजगारी से तंगी या अपने किसी करीबी के बिछड़ जाने से बहुत दुखी होना स्वाभाविक है, लेकिन यही दुःख, उदासी, स्ट्रेस कुछ दिनों तक ना रहकर लम्बे समय तक बनी रहे तो यह depression के संकेत हो सकते है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व में लगभग 30 करोड़ से अधिक लोग डिप्रेशन कि समस्या से जूझ रहे है, और भारत में यह आंकड़ा लगभग विश्व के आंकड़े के 15% है और यह देश के लिए एक गंभीर समस्या है। । डिप्रेशन आमतौर पर किशोरावस्था या 30 से 40 साल के उम्र में शुरू होता है,लेकिन आज के समय में यह डिप्रेशन किसी भी उम्र के लोगो को हो सकता है।
डिप्रेशन के प्रकार (Types of Depressin)
डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है, जो अलग-अलग तरीकों से हर व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। Depressin कई प्रकार के होते हैं और हर प्रकार के लक्षण व इलाज का तरीका अलग-अलग होता है। आइए जानते हैं डिप्रेशन कितने प्रकार के होते है-
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1. मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (MDD) या क्लीनिकल डिप्रेशन
मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर ( एमडीडी ), जिसे क्लिनिकल डिप्रेशन के रूप में भी जाना जाता है, यह डिप्रेशन का सबसे सामान्य और गंभीर रूप है। मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (MDD) एक गहरी और लगातार उदासी का एहसास है, जो 2 हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक रहता है।
लक्षण:
- दिनभर उदासी महसूस होना।
- किसी भी चीज़ में दिलचस्पी न लेना।
- नींद के पैटर्न में बदलाव (बहुत ज्यादा या बहुत कम सोना)।
- आत्महत्या के विचार आना।
2. पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (PDD) या डिस्थायमिया
पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (PDD) एक प्रकार का क्रॉनिक अवसाद है जो अक्सर लंबे समय तक बना रहता है। इसमें व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी ऊर्जा और आत्मविश्वास खोने लगता है। इस डिप्रेशन के दौरान, व्यक्ति हमेशा उदासी महसूस करता है, लेकिन पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर के लक्षण उतने गंभीर नहीं होते कि जीवन पूरी तरह से रुक जाए।
लक्षण:
- लगातार ऊर्जा की कमी महसूस करना।
- आत्मविश्वास की कमी।
- खुद को नकारात्मक नजरिए से देखना।
3. बायपोलर डिसऑर्डर (मैनीक डिप्रेशन)
इस प्रकार के डिप्रेशन में व्यक्ति के मूड में तेजी से बदलाव होता है। कभी व्यक्ति बहुत खुश और ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करता है (मेनिया), तो कभी वह गहरी उदासी और थकावट से जूझता है (डिप्रेशन)। बायपोलर डिसऑर्डर में व्यक्ति ऊर्जा और थकान में कमी महसूस करता है।
लक्षण:
- मेनिया के दौरान ज़्यादा एक्टिव और एनर्जेटिक महसूस करना।
- डिप्रेशन के दौरान बिल्कुल उदासी और थकान महसूस करना।
- बिना सोचे-समझे निर्णय लेना।
4. पोस्टपार्टम डिप्रेशन
प्रसव होने के बाद जो डिप्रेशन होता है उसे कहते हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन, यह डिप्रेशन नई मां बनने के बाद होता है। बच्चे के जन्म के बाद हार्मोनल बदलाव और मानसिक दबाव के कारण मां को उदासी, चिंता और अकेलापन महसूस हो सकता है। कभी-कभी मां अपने बच्चे के साथ जुड़ाव महसूस नहीं करती, जिससे यह स्थिति और गंभीर हो जाती है।
लक्षण:
- बच्चे के प्रति प्यार महसूस न करना।
- लगातार चिंता और उदासी महसूस करना।
- खुद को असहज महसूस करना।
5. सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD)
सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर एक प्रकार का डिप्रेशन है, जो मौसम में होने वाले बदलावों की वजह से होता है। यह डिप्रेशन एक विशेष मौसम में होता है, खासकर सर्दियों में जब दिन छोटे और अंधेरे ज्यादा होते हैं। इसमें व्यक्ति को थकान, ज्यादा नींद लगना और उदासी का अनुभव होता है। यह डिप्रेशन साल के बाकी समय में अपने आप ठीक हो जाता है।
लक्षण:
- थकान और उदासी महसूस करना।
- ज़्यादा सोना और कार्ब-रिच फूड्स खाना।
- ऊर्जा की कमी।
6. साइकोटिक डिप्रेशन
साइकोटिक डिप्रेशन एक बहुत ही गंभीर मूड डिसऑर्डर है। इस प्रकार के डिप्रेशन में उदासी के साथ भ्रम (हैलुसिनेशन) और गलत धारणाएं (डिल्यूजन) भी होती हैं। व्यक्ति वास्तविक से कटने लगता है और उसे डरावने या असामान्य खयाल आते हैं। यह डिप्रेशन अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक गंभीर होता है।
लक्षण:
- अक्सर डरावने सपने देखना।
- वास्तविकता से संबंध तोड़ लेना।
- अजीब या असहज विचार आना।
7. एटिपिकल डिप्रेशन
यह डिप्रेशन के अन्य प्रकारों से थोड़ा अलग है। एटिपिकल डिप्रेशन में चिंता विकारों के साथ उच्च सहरुग्णता होती है, आत्मघाती व्यवहार का अधिक जोखिम होता है। लेकिन खुशी के कुछ पलों में उसका मूड ठीक हो सकता है। इसे पहचानना मुश्किल होता है, क्योंकि इसके लक्षण कभी-कभी सामान्य लगते हैं।
लक्षण:
- खुशी के पल में मूड ठीक होना।
- अत्यधिक भूख लगना।
- ज़्यादा सोना।
डिप्रेशन के लक्षण (symptoms of depression in hindi)
वैश्विक विकलांगता में अवसाद को सबसे बड़ा योगदानकर्ता माना जाता है क्यू? क्यूंकि डिप्रेशन एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जो धीरे-धीरे हमारी ज़िंदगी पर असर डालती है और इससे प्रभावित व्यक्ति आत्महत्या तक करने का विचार बना लेता है।
Depression एक आम समस्या है, लेकिन अक्सर लोग इसके लक्षणों को पहचानने में देर कर देते हैं। अगर हम समय रहते इसके लक्षण समझ लें, तो इसे ठीक करना आसान हो जाता है। आइए जानते हैं डिप्रेशन के कुछ मुख्य लक्षण-
- डिप्रेशन में व्यक्ति हमेशा उदास और अकेला महसूस करता है। कभी-कभी यह उदासी बिना किसी कारण के भी होती है और लंबे समय तक बनी रहती है।
- जिन चीज़ों में पहले मज़ा आता था, अब उनमें कोई रुचि नहीं रहती। जैसे दोस्तों के साथ समय बिताना, पसंदीदा काम करना या शौक पूरे करना।
- बहुत ज्यादा नींद आती है या फिर बिल्कुल भी नींद नहीं आती। सोते वक्त बार-बार जाग जाना भी एक आम समस्या है।
- कई बार डिप्रेशन में या तो भूख बिल्कुल खत्म हो जाती है, या फिर ज्यादा खाने का मन करता है। इसका असर वजन पर भी पड़ता है।
- खुद को कमजोर और नाकामयाब महसूस करना डिप्रेशन का एक बड़ा लक्षण है। लोग बार-बार खुद को दोषी ठहराने लगते हैं।
- मन हमेशा किसी न किसी बात को लेकर परेशान रहता है। बिना किसी वजह के बेचैनी, घबराहट या उत्तेजित महसूस कर रहे हैं।
- डिप्रेशन के गंभीर मामलों में आत्महत्या या खुद को चोट पहुंचाने जैसे विचार आने लगते हैं। यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है और तुरंत मदद लेनी चाहिए।
- डिप्रेशन में व्यक्ति का ध्यान किसी काम पर नहीं टिकता। चीज़ें भूलने लगती हैं और काम करने की क्षमता कम हो जाती है।
- डिप्रेशन का असर सिर्फ मन पर ही नहीं, शरीर पर भी पड़ता है। सिरदर्द, पेट में दर्द या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
डिप्रेशन कैसे होता है (Causes of depression)
डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है। यह केवल किसी एक वजह से नहीं होता, बल्कि कई शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कारण इसमें योगदान होते हैं। हर व्यक्ति के लिए डिप्रेशन की वजह अलग-अलग हो सकती है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं-
1. मानसिक तनाव (Stress)
- लंबे समय तक तनाव में रहने से डिप्रेशन हो सकता है।
- काम का दबाव, रिश्तों में समस्या, या आर्थिक कठिनाइयाँ इसके बड़े कारण हो सकते हैं।
- जब दिमाग लगातार तनाव से जूझता है, तो यह धीरे-धीरे डिप्रेशन में बदल सकता है।
2. जीवन की कठिन घटनाएँ (Traumatic Events)
- जीवन में कोई बड़ी घटना, जैसे किसी प्रियजन की मौत, तलाक, या नौकरी खो देना, डिप्रेशन का कारण बन सकती है।
- ऐसी घटनाएँ व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर कर देती हैं।
3. हार्मोनल बदलाव (Hormonal Changes)
- हार्मोन के बदलाव, जैसे प्रेगनेंसी के बाद या मेनोपॉज के दौरान, डिप्रेशन को ट्रिगर कर सकते हैं।
- किशोरावस्था और युवावस्था में भी हार्मोनल असंतुलन इसका कारण बन सकता है।
4. पारिवारिक इतिहास (Family History)
- अगर परिवार में किसी को डिप्रेशन की समस्या रही हो, तो यह आनुवंशिक (genetic) कारणों से अगली पीढ़ी में भी हो सकता है।
- इसका मतलब यह नहीं है कि यह जरूर होगा, लेकिन इसकी संभावना बढ़ जाती है।
5. मस्तिष्क के रसायन (Chemical Imbalance)
- हमारे दिमाग में कुछ रसायन (neurotransmitters) होते हैं, जो हमारे मूड को नियंत्रित करते हैं।
- जब इन रसायनों में असंतुलन होता है, तो डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।
6. शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ (Physical Health Issues)
- कुछ बीमारियाँ, जैसे डायबिटीज, हृदय रोग, कैंसर या थायरॉयड की समस्या, व्यक्ति को डिप्रेशन की ओर ले जा सकती हैं।
- लगातार दर्द या कोई पुरानी बीमारी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
7. नशे की लत (Substance Abuse)
- शराब या ड्रग्स का अत्यधिक सेवन डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
- नशा करने वाले लोग अक्सर अपनी समस्याओं को भूलने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह स्थिति को और खराब कर देता है।
8. नींद की कमी (Lack of Sleep)
- अगर आप लंबे समय तक पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो यह आपके मूड और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है।
- लगातार नींद की कमी डिप्रेशन को जन्म दे सकती है।
9. नकारात्मक सोच (Negative Thinking)
- हमेशा खुद को कमजोर समझना, हर स्थिति में नकारात्मक पक्ष देखना और आत्मविश्वास की कमी से भी डिप्रेशन हो सकता है।
- यह आदत धीरे-धीरे मानसिक स्थिति को कमजोर कर देती है।
डिप्रेशन के समय क्या करें। (What to do during depression)
डिप्रेशन का सामना करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह संभव है। सही कदम उठाकर और मदद लेकर आप इससे बाहर आ सकते हैं। यहां कुछ आसान और प्रभावी तरीके दिए गए हैं, जिनसे आप डिप्रेशन के समय खुद की मदद कर सकते हैं-
1. अपनी भावनाओं को स्वीकार करें:
यह पहला कदम है, जो आपको ठीक होने की ओर ले जाएगा। खुद को दोष न दें और अपनी स्थिति को स्वीकार करें। यह समझें कि डिप्रेशन होना कोई कमजोरी नहीं है।
2. किसी से बात करें:
बातचीत आपके मन का बोझ हल्का कर सकती है। अपनी भावनाओं को छुपाने की बजाय किसी भरोसेमंद व्यक्ति से शेयर करें। यह व्यक्ति आपका परिवार का सदस्य, दोस्त या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हो सकता है।
3. पेशेवर मदद लें:
डिप्रेशन को अकेले संभालना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, किसी काउंसलर या साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। थेरेपी (जैसे काउग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी) और दवाओं से काफी सुधार हो सकता है।
4. रोज़मर्रा की दिनचर्या बनाएं:
हर दिन के लिए एक रूटीन सेट करें। छोटे-छोटे काम करें, जैसे सुबह समय पर उठना, हल्का व्यायाम करना या अपनी पसंद का खाना बनाना।
5. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:
- नियमित व्यायाम करें: योग, टहलना या हल्का दौड़ना आपकी मानसिक स्थिति सुधार सकता है।
- संतुलित आहार खाएं: ताजे फल, सब्जियां, और प्रोटीन से भरपूर भोजन लें।
- नींद पूरी करें: रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद आपके मूड को बेहतर बनाएगी।
6. अपनी रुचियों पर ध्यान दें:
अपनी पसंदीदा चीजें करने की कोशिश करें, जैसे पेंटिंग, म्यूजिक सुनना, किताबें पढ़ना या बागवानी। यह आपकी मनोदशा को सुधारने में मदद कर सकता है।
7. खुद पर दबाव न डालें:
अगर किसी काम को करने का मन नहीं है, तो खुद को मजबूर न करें। छोटी शुरुआत करें और धीरे-धीरे बड़े काम करें। खुद को समय दें और धैर्य रखें।
8. मेडिटेशन और रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएं:
- ध्यान (मेडिटेशन), डीप ब्रीदिंग या प्राणायाम का अभ्यास करें।
- ये तकनीकें आपके तनाव को कम करने और मानसिक शांति पाने में मदद करेंगी।
9. नकारात्मक सोच को चुनौती दें:
अपने नकारात्मक विचारों को पहचानें और उन्हें सकारात्मक सोच से बदलने की कोशिश करें। “मैं यह नहीं कर सकता” की जगह “मैं कोशिश करूंगा” सोचें।
10. मदद मांगने से हिचकिचाएं नहीं:
अगर स्थिति गंभीर हो, तो तुरंत किसी डॉक्टर, साइकोलॉजिस्ट या हेल्पलाइन से संपर्क करें। अकेले लड़ने की बजाय विशेषज्ञों की मदद लेना बेहतर है।
डिप्रेशन का इलाज – (Treatment of Depression)
डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है लेकिन यह इलाज योग्य मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। Depression का इलाज हर व्यक्ति के लक्षणों, कारणों और स्थिति के आधार पर अलग हो सकता है। यहां डिप्रेशन के इलाज के सभी मुख्य तरीके दिए गए हैं –
1. मनोचिकित्सा (Therapy या Counseling)
मनोचिकित्सा डिप्रेशन के इलाज में सबसे प्रभावी तरीका है। इसमें प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात की जाती है।
- कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT):
- इसमें नकारात्मक सोच को पहचानने और उसे सकारात्मक सोच में बदलने पर काम किया जाता है।
- यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने और समस्याओं से निपटने के तरीके सिखाता है।
- इंटरपर्सनल थेरेपी (IPT):
- यह रिश्तों से जुड़ी समस्याओं और उनके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करती है।
- इसका उद्देश्य रिश्तों को सुधारकर डिप्रेशन के लक्षणों को कम करना है।
- साइकोडायनामिक थेरेपी:
- इसमें आपकी भावनाओं और बचपन के अनुभवों का विश्लेषण किया जाता है।
- यह डिप्रेशन की जड़ों को समझने और उन्हें हल करने में मदद करता है।
2. दवाइयाँ (Medication)
डिप्रेशन के इलाज में दवाइयाँ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह दवाइयाँ डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए।
- एंटीडिप्रेसेंट्स (Antidepressants):
- ये दवाइयाँ दिमाग में रसायनों (सेरोटोनिन, डोपामिन) का संतुलन सुधारती हैं।
- सामान्य एंटीडिप्रेसेंट्स: फ्लूऑक्सेटीन, सेरट्रालीन, एस्सिटालोप्राम।
- एंटिय anxiety दवाइयाँ:
- जब डिप्रेशन के साथ चिंता (anxiety) हो, तो डॉक्टर इन दवाइयों का सुझाव देते हैं।
- साइड इफेक्ट्स का ध्यान रखें:
- दवाइयों के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जैसे वजन बढ़ना, नींद आना। डॉक्टर से इन्हें ठीक कराने के लिए नियमित संपर्क में रहें।
3. जीवनशैली में बदलाव
स्वस्थ आदतें और दिनचर्या डिप्रेशन को कम करने में मदद कर सकती हैं।
- नियमित व्यायाम करें:
- रोज़ाना 30 मिनट की वॉक, योग या हल्का व्यायाम दिमाग के रसायनों को संतुलित करता है।
- यह सेरोटोनिन और एंडोर्फिन बढ़ाने में मदद करता है, जो मूड को बेहतर बनाते हैं।
- संतुलित आहार लें:
- हरी सब्जियाँ, फल, नट्स, और प्रोटीन युक्त भोजन डिप्रेशन के लक्षणों को कम कर सकते हैं।
- जंक फूड और अत्यधिक चीनी से बचें।
- नींद पर ध्यान दें:
- रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद लें।
- सोने और जागने का एक तय समय बनाएं।
- तनाव कम करें:
- ध्यान (मेडिटेशन), डीप ब्रीदिंग और प्राणायाम तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
4. समर्थन प्रणाली (Support System)
- परिवार और दोस्तों से जुड़ें:
- अपने करीबी लोगों से बात करें और अपनी भावनाएँ साझा करें।
- अकेलेपन से बचने के लिए सामाजिक संपर्क बनाए रखें।
- सपोर्ट ग्रुप्स:
- डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों के सपोर्ट ग्रुप में शामिल हों।
- यहां आपको ऐसे लोग मिलेंगे, जो आपकी भावनाओं को समझते हैं।
5. गंभीर मामलों में इलाज
अगर डिप्रेशन बहुत गंभीर हो, तो इन विशेष तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है:
- इलेक्ट्रोकॉन्वल्सिव थेरेपी (ECT):
- यह उन मामलों में उपयोग की जाती है, जब अन्य इलाज काम नहीं करते।
- इसमें दिमाग को हल्के बिजली के झटके दिए जाते हैं, जिससे दिमाग की रसायनिक गतिविधियाँ ठीक होती हैं।
- टीएमएस (Transcranial Magnetic Stimulation):
- यह एक नई तकनीक है, जिसमें चुंबकीय तरंगों के माध्यम से दिमाग को उत्तेजित किया जाता है।
6. स्वयं की देखभाल (Self-Care)
डिप्रेशन से बाहर आने के लिए खुद का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है।
- छोटे-छोटे कदम लें:
- शुरुआत में छोटे लक्ष्य तय करें और धीरे-धीरे बड़े काम करें।
- जैसे सुबह समय पर उठना या अपने पसंदीदा गाने सुनना।
- खुद को समय दें:
- डिप्रेशन से उबरने में समय लगता है। धैर्य रखें और खुद पर दयालु बनें।
- अपनी रुचियों पर ध्यान दें:
- पेंटिंग, म्यूजिक, किताबें पढ़ना, या जो भी आपको खुशी दे, उसे समय दें।